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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन साल की बच्ची से बलात्कार के आरोपी 62 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया।
मामला: सुनील बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
न्यायालय: न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी
भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 5/6
कल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 62 वर्षीय एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर 3 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार करने का आरोप है, जैसा कि पीड़िता ने शब्दों और संकेतों में बताया है। न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया (पहली छाप के आधार पर) साक्ष्य से पता चलता है कि आरोपी ने एक शिशु के साथ बलात्कार किया है, जिसने अभी तक ठीक से बोलना भी शुरू नहीं किया है।
आरोपी के पिता ने जिला न्यायालय में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 5/6 के तहत मामला दायर किया था। आरोपी उस समय पीड़िता के घर में बढ़ई का काम कर रहा था और मजदूरी को लेकर मतभेद के बाद उसने ऐसा जघन्य अपराध किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद आरोपी ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जहां इसे फिर से खारिज कर दिया गया। न्यायालय ने कहा कि यह प्रथम दृष्टया साक्ष्य है कि आवेदक ने नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार जैसा अमानवीय कृत्य किया है, जैसा कि उसके शब्दों और संकेतों से पता चलता है।
इसके अतिरिक्त, मेडिकल रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि पीड़िता की योनिच्छद फटी हुई थी तथा उसके गुप्तांगों पर सूजन स्पष्ट थी, ऐसे आवेदक को जमानत का अधिकार नहीं है।