भारतीय दंड संहिता
आईपीसी धारा 337 - दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य द्वारा चोट पहुंचाना
जो कोई किसी व्यक्ति को किसी कार्य को इतनी उतावलेपन या उपेक्षा से करके क्षति पहुंचाता है जिससे मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
आईपीसी धारा 337: सरल शब्दों में समझाया गया
इस कानूनी प्रावधान में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति लापरवाही या लापरवाही से किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मानव जीवन या सुरक्षा को खतरा हो, तो उसे छह महीने तक की जेल या 500 रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। इस कानून का उद्देश्य लोगों को उन खतरनाक कार्यों के लिए जवाबदेह बनाना है जो नुकसान पहुंचाते हैं, भले ही उनका इरादा न हो।
आईपीसी धारा 337 का मुख्य विवरण
अपराध | दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य द्वारा चोट पहुंचाना। |
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सज़ा | 6 महीने तक का कारावास या पांच सौ रुपये तक का जुर्माना या दोनों |
संज्ञान | उपलब्ध किया हुआ |
जमानतीय है या नहीं? | जमानती |
द्वारा परीक्षण योग्य | कोई भी मजिस्ट्रेट |
समझौता योग्य अपराधों की प्रकृति | न्यायालय की अनुमति से उस व्यक्ति द्वारा समझौता किया जा सकता है जिसे चोट पहुंचाई गई हो |
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