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किसी भूस्वामी पर उसके किराए की संपत्ति पर हो रही अनैतिक गतिविधियों के बारे में जानकारी न होने के कारण आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि अगर मकान मालिक को इस बात की जानकारी नहीं है कि उसकी संपत्ति का इस्तेमाल वेश्यालय के रूप में किया जा रहा है, तो उसके खिलाफ अनैतिक व्यापार अधिनियम के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। उच्च न्यायालय ने मकान मालिक के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया।
अधिनियम की धारा 3(2) के आलोक में तथा पुलिस द्वारा यह स्वीकार किए जाने पर कि मकान मालिक को यह जानकारी नहीं थी कि परिसर का उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा था, कार्यवाही जारी रखने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
यह याचिका उन भूस्वामियों द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने आरोपी 1 को अपनी संपत्ति किराए पर दी थी। तलाशी लेने पर पुलिस को पता चला कि आरोपी वेश्यालय चला रहा था। तलाशी के बाद, अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत भूस्वामी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया। इसके बाद, याचिकाकर्ता को एक नोटिस दिया गया, जिस पर उसने जवाब दिया कि उसे गतिविधियों के बारे में पता नहीं था। हालाँकि, पुलिस ने अधिनियम की धारा 3 के तहत आरोप पत्र दायर किया, और इसलिए, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 3(2) के अनुसार यदि कोई मालिक यह जानते हुए अपनी संपत्ति किराए पर देता है कि उसका उपयोग वेश्यालय के रूप में किया जाएगा, तो उसे अपराध के दायरे में लाया जा सकता है।
इस मामले में, याचिकाकर्ता को गतिविधियों की जानकारी नहीं थी, इसलिए याचिका को स्वीकार कर लिया गया तथा कार्यवाही रद्द कर दी गई।