समाचार
ज़मीन मालिक को कब्ज़ा छिनने के दिन से ब्याज पाने का अधिकार है - सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह एक सुस्थापित कानून है कि जब किसी व्यक्ति की भूमि अधिग्रहित की जाती है, तो उसे तुरंत मुआवज़ा दिया जाना चाहिए। यदि ऐसा मुआवज़ा नहीं दिया जाता है, तो वह व्यक्ति उस तारीख से ब्याज पाने का हकदार होगा, जिस दिन से उसे कब्ज़ा से वंचित किया गया था।
जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की खंडपीठ बॉम्बे हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी। सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष, ब्याज का भुगतान करने की देयता और ब्याज शुरू होने की तिथि के बारे में मुद्दा था।
यह मामला पहले रेफरेंस कोर्ट और फिर बॉम्बे हाईकोर्ट में गया। रेफरेंस कोर्ट ने आदेश दिया कि अप्रैल 1997 से जब कब्जा लिया गया था, मार्च 1998 तक पहले साल के लिए 9% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान किया जाना चाहिए और उसके बाद भुगतान की तारीख सितंबर 2004 तक 15% प्रति वर्ष की दर से भुगतान किया जाना चाहिए। बाद में, हाईकोर्ट ने रेफरेंस कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह मुद्दा 2004 में जैन बनाम डीडीए मामले में पहले ही सुलझा लिया गया था, जिसमें यह फैसला सुनाया गया था कि जिस व्यक्ति की ज़मीन अधिग्रहित की जाती है, वह उस दिन से ब्याज पाने का हकदार होगा जिस दिन ज़मीन अधिग्रहित की गई थी। इस प्रकार, इस मामले में अपीलकर्ता उस तारीख से ब्याज पाने का हकदार होगा जिस दिन उसे ज़मीन से वंचित किया गया था - 4 अप्रैल, 1997।
लेखक: पपीहा घोषाल