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द्विध्रुवी विकार से पीड़ित एक वकील न्यायाधीश बनने के लिए तैयार- सुप्रीम कोर्ट

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द्विध्रुवी विकार से पीड़ित एक वकील न्यायाधीश बनने जा रहा है - एस.सी.

सर्वोच्च न्यायालय ने उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें भव्य नैन को न्यायिक अधिकारी के रूप में नियुक्त करने का आदेश दिया गया था, क्योंकि उन्हें बाइपोलर अफेक्टिव डिसऑर्डर (बीपीएडी) के आधार पर नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित मेडिकल बोर्ड को ऐसा कोई भी तथ्य नहीं मिला जिससे यह संकेत मिलता हो कि वह न्यायिक अधिकारी के रूप में अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं होंगे।

भव्य नैन को पहली बार 2010 में BPAD का पता चला था। उन्होंने 2018 में न्यायिक सेवाओं के लिए आवेदन किया और प्रक्रिया के सभी चरणों को पास कर लिया। हालाँकि, उनकी उम्मीदवारी को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उनकी विकलांगता उनके विकलांगता प्रमाण पत्र के अनुसार नहीं थी। यानी प्रमाण पत्र के अनुसार यह स्थायी नहीं थी।

भव्य ने इस अस्वीकृति को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी। न्यायालय ने न्यायिक सेवाओं में उनके चयन का निर्देश दिया तथा कहा कि रोजगार से संबंधित मामलों में किसी विकलांग व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।

सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसे बरकरार रखा।