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इलाहाबाद उच्च न्यायालय - राज्य विधानसभा और संसद तक अपराधियों की पहुंच चिंताजनक संख्या में - प्रभावी उपायों की आवश्यकता

मामला: अतुल कुमार सिंह उर्फ अतुल राय बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
न्यायालय: न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद अतुल राय को जमानत देने से इनकार कर दिया है। यह मामला पिछले साल शीर्ष न्यायालय के बाहर आत्महत्या करने वाली महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले से जुड़ा है। जमानत देने से इनकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य विधानसभा और संसद में अपराधियों की संख्या बहुत अधिक है। अपराधियों को राजनीति से दूर रखने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।
पृष्ठभूमि
अतुल राय और उनके सह-आरोपियों पर बलात्कार पीड़िता और उसके दोस्त को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था, जिन्होंने पिछले साल 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के गेट के बाहर खुद को आग लगा ली थी और इसके परिणामस्वरूप उनकी मौत हो गई थी। 24 वर्षीय पीड़िता ने अतुल पर 2019 में उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था।
एकल पीठ ने कहा कि राय पर 23 आपराधिक मामले दर्ज हैं और इनमें बलात्कार, अपहरण, हत्या और अन्य जघन्य अपराध शामिल हैं।
टिप्पणियों
इस संबंध में न्यायालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और विडंबनापूर्ण है कि 2019 के आम चुनावों में निर्वाचित 43 प्रतिशत लोकसभा सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता कि वर्तमान राजनीति अपराध, संरक्षण, बाहुबल और धन में लिप्त है और यह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक गंभीर खतरा है।
हाईकोर्ट ने कहा कि पहले बाहुबली और अन्य अपराधी विभिन्न कारणों से चुनाव में उम्मीदवारों को समर्थन देते थे, लेकिन अब अपराधी खुद राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए संसद की जिम्मेदारी है कि वह अपराधियों को राजनीति में प्रवेश करने से रोकने के लिए अपनी सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करे।
वर्तमान मामले के संबंध में अदालत ने कहा कि यद्यपि राय के सह-आरोपी को अदालत द्वारा जमानत दे दी गई थी, लेकिन उनका मामला अलग था और सभी परिस्थितियों पर विचार करते हुए जमानत देने से इनकार किया गया।