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केंद्र सरकार राजद्रोह कानून की पुनः जांच करेगी

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मामला : एसजी वोम्बटकेरे बनाम भारत संघ

आईपीसी की धारा 124A : राजद्रोह

हाल ही में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए की पुनः जांच करने का निर्णय लिया है, जो राजद्रोह के अपराध को आपराधिक बनाती है

औपनिवेशिक प्रावधान को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के जवाब में हलफनामा दायर किया गया था। जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी किया और केंद्र सरकार से पूछा कि क्या आजादी के 75 साल बाद भी इस कानून की जरूरत है। कोर्ट ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल से भी मदद मांगी थी।

इसी को देखते हुए, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर कर कहा कि सरकार का लक्ष्य देश की आजादी के 75वें साल में औपनिवेशिक बोझ को उतार फेंकना है। इसलिए, सरकार ने विभिन्न औपनिवेशिक कानूनों पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है। इसने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह फिलहाल धारा 124ए की जांच में अपना समय बर्बाद न करे और भारत सरकार द्वारा कानून पर पुनर्विचार करने का इंतजार करे।

वर्तमान में इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा की जा रही है।

राजद्रोह: जो कोई भी, चाहे मौखिक या लिखित शब्दों द्वारा, या संकेतों द्वारा, या दृश्य चित्रण द्वारा, या अन्यथा, भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा पैदा करता है या पैदा करने का प्रयास करता है या असंतोष भड़काता है या भड़काने का प्रयास करता है, उसे आजीवन कारावास से, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा, या तीन वर्ष तक के कारावास से, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा, या जुर्माने से दंडित किया जाएगा।