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महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन समाज की पितृसत्तात्मक मानसिकता में बदलाव आ रहा है- केरल हाईकोर्ट
मामला: विजय बाबू बनाम केरल राज्य
न्यायालय: न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस
केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन समाज की पितृसत्तात्मक मानसिकता में बदलाव आ रहा है। न्यायमूर्ति बेचू ने टिप्पणी की कि महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में प्रगति देखी जा सकती है क्योंकि महिलाओं का एक बड़ा वर्ग सेक्स के बारे में खुलकर बोलने में सक्षम हो रहा है। महिलाओं को अब सार्वजनिक रूप से अपने यौन शोषण के बारे में बोलने में कोई चिंता नहीं है।
केरल उच्च न्यायालय अभिनेता-निर्माता विजय बाबू द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उनके खिलाफ एक अभिनेत्री द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाने के बाद बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था।
बाबू की ओर से पेश हुए वकील एस राजीव ने दलील दी कि उनके खिलाफ शिकायत उन्हें ब्लैकमेल करने का प्रयास है। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि पुलिस गहन जांच और मीडिया द्वारा व्यापक रूप से प्रकाशित की गई अटकलों से निर्देशित है।
एडवोकेट राजेश ने आगे बताया कि शिकायतकर्ता, एक युवा अविवाहित महिला, सोशल मीडिया सहित हर जगह सामाजिक बहिष्कार और उत्पीड़न का सामना कर रही थी। इन कारकों के संचयी प्रभावों को एक अंतर्विषयक लेंस के माध्यम से देखा जाना चाहिए।
एडवोकेट राजेश ने कहा कि साक्ष्यों को बिना किसी पूर्वाग्रह के देखा जाना चाहिए, विशेषकर इसलिए कि आवेदक ने स्वीकार किया है कि उसने उसके साथ यौन संबंध बनाए थे।
पृष्ठभूमि
#MeToo अभियान के दौरान, एक नवोदित अभिनेत्री ने आरोप लगाया कि बाबू ने अभिनय भूमिकाओं के लिए विचार करने की आड़ में उसका यौन शोषण किया। उसके खिलाफ़ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाबू ने फेसबुक पर लाइव आकर अपने खिलाफ़ लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने शिकायतकर्ता का नाम उजागर करते हुए दावा किया कि उसे कानूनी परिणाम पता हैं।
इसके बाद पीड़िता का नाम उजागर करने के लिए एक अलग एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले में, न्यायालय ने अग्रिम जमानत याचिका को बंद कर दिया, यह देखते हुए कि कथित अपराध जमानती है।
इस मामले पर 17 जून को विचार किया जाएगा।