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दिल्ली का वायु प्रदूषण दुनिया के सामने भारत की नकारात्मक तस्वीर पेश कर रहा है - सुप्रीम कोर्ट
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की खंडपीठ ने कहा कि राजधानी में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तदर्थ उपाय पर्याप्त नहीं हैं। राजधानी में जहरीला प्रदूषण दुनिया के सामने देश की नकारात्मक तस्वीर पेश कर रहा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य से इस समस्या से निपटने के लिए सांख्यिकीय और वैज्ञानिक अध्ययन करने का आग्रह किया। पीठ ने आगे कहा कि उत्तर भारत में सर्दियों के महीनों में मौसम की स्थिति को देखते हुए वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि हम तभी कदम उठाते हैं जब मौसम खराब हो जाता है और प्रदूषण के स्तर में वृद्धि हो जाती है।
एसजी तुषार मेहता द्वारा वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए उठाए गए या उठाए जाने वाले विभिन्न कदमों के बारे में न्यायालय को सूचित करने के बाद पीठ ने मामले को अगले सोमवार के लिए सुनवाई के लिए रख लिया। न्यायालय ने कहा कि वे मामले की निगरानी जारी रखेंगे।
दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में हवा की खराब गुणवत्ता के बारे में 17 वर्षीय एक किशोर की याचिका पर न्यायालय ने सुनवाई की। पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने इस मुद्दे से ठोस तरीके से निपटने के लिए सरकारों और नौकरशाही की आलोचना की थी।
न्यायालय के आलोचनात्मक दृष्टिकोण के बाद, सरकारें (केन्द्र और राज्य) कुछ उपाय लेकर आईं, जैसे - ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध, निर्माण कार्य, तथा 300 किलोमीटर के दायरे में ताप विद्युत संयंत्रों को बंद करना।
न्यायालय ने सरकार से कहा कि अगली सुनवाई तक अगले कुछ दिनों तक ये उपाय जारी रखे जाएं।
लेखक: पपीहा घोषाल