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दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगा मामले में उमर खालिद को जमानत देने से किया इनकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2020 के दिल्ली दंगों के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत पंजीकृत उमर खालिद की जमानत से इनकार कर दिया।
3 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आदेश सुरक्षित रख लिया था और तीन अलग-अलग मौकों पर इसे टाल दिया गया था।
पिछले 8 महीनों से चल रही जमानत की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील त्रिदीप पैस ने तर्क दिया कि सीएए के खिलाफ कई लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और यह विरोध धर्मनिरपेक्ष था, लेकिन चार्जशीट सांप्रदायिक थी। उमर खालिद के खिलाफ मामला दुर्भावना से प्रेरित था। इसके अलावा, उनात के खिलाफ गवाहों के बयान असंगत थे और चार्जशीट एक टेलीविजन स्क्रिप्ट की तरह दिखती है।
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने आरोप पत्र को सांप्रदायिक बताने के जवाब में तर्क दिया कि इस मामले में पहली सजा एक हिंदू की थी। 2020 के दिल्ली दंगे आरोपी व्यक्तियों द्वारा रची गई गहरी साजिश का हिस्सा थे।
सितंबर 2020 में खालिद को गिरफ्तार किया गया और नवंबर 2020 तक उसके खिलाफ यूएपीए और आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप पत्र दायर किया गया