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दिल्ली हाईकोर्ट ने देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया

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छात्र कार्यकर्ता देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक बार फिर दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और उच्च न्यायालय द्वारा दी गई उनकी रिहाई-जमानत के आदेश को स्थगित करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी।

आवेदकों ने दलील दी कि कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने "भारी बोर्ड" का हवाला देते हुए तीनों के आदेश को स्थगित कर दिया था, जबकि पुलिस ने आवेदकों के सत्यापन के लिए 21 जून तक का समय मांगा था। याचिका में आगे कहा गया है कि हाईकोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बाद भी आवेदकों को हिरासत में रखना अवैध है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने दिल्ली पुलिस की इस दलील को खारिज कर दिया कि उन्हें आवेदकों के पते और जमानतदारों की पुष्टि करने के लिए और समय चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा कि "दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद भी तीनों आरोपियों/आवेदकों को जेल में रखना कोई उचित कारण नहीं हो सकता"। तदनुसार, पीठ ने तीनों आवेदकों को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया।


लेखक: पपीहा घोषाल