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दिल्ली हाईकोर्ट ने जांच के लिए यूआईडीएआई की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को उन 450 लोगों के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया, जिन्हें नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षण में नामांकन के लिए कथित तौर पर फर्जी आधार कार्ड जारी किए गए थे।
न्यायालय एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि शाहदरा के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट और कुछ अन्य सरकारी अधिकारियों ने फर्जी आधार कार्ड वाले लगभग 450 उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया, जिन्होंने नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षण के लिए नामांकन किया था। यह मामला तब प्रकाश में आया जब विजेंद्र गुप्ता (शिकायतकर्ता) ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, नई दिल्ली के समक्ष यह आरोप लगाया कि दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) बसों के लिए मार्शलों की भर्ती की प्रक्रिया अवैध थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया में ऊपर वर्णित सरकारी कर्मचारियों द्वारा हेराफेरी की गई, जिन्होंने अपने गृह राज्य राजस्थान के लगभग 450 लोगों को फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए, जिसमें उन्हें उनके नाम पर आधार कार्ड बनाने के उद्देश्य से दिल्ली निवासी दिखाया गया।
अगस्त 2019 में आधार केंद्र पर कार्यरत राजस्थान राज्य के व्यक्तियों के लिए दिल्ली के फर्जी पते वाले बड़ी संख्या में फर्जी आधार कार्ड बनाए गए थे।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक कुसुम ढल्ला ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह यूआईडीएआई को जांच के उद्देश्य से फर्जी आधार कार्डों की जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दे। यूआईडीएआई की ओर से पेश अधिवक्ता निधि रमन ने न्यायालय को बताया कि प्राधिकरण को 2016 के आधार अधिनियम के प्रावधानों के तहत अनुमेय सीमा तक जानकारी साझा करने से कोई आपत्ति नहीं है।
न्यायालय ने अंततः यूआईडीएआई को जांच के लिए आवश्यक सभी प्रासंगिक जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने आगे जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि जानकारी प्राप्त होने पर मामले की जांच की जाए।