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दिल्ली हाईकोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 60 साल पुराने पेड़ को नुकसान न पहुंचे
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में उप वन संरक्षक, दिल्ली पुलिस और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को आदेश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि मामले की अगली सुनवाई तक दिल्ली के इंद्रपुरी में 60 साल पुराने पीपल के पेड़ को किसी भी तरह से न काटा जाए। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने एक हाथ से लिखी एक पृष्ठ की पत्र याचिका के साथ पीठ से संपर्क किया, जिसमें कहा गया था कि पेड़ को अवैध रूप से काटा जा रहा है और तत्काल अंतरिम राहत की मांग की गई है।
हरिहरन को कोर्ट में पेशी के दौरान करीब साढ़े तीन बजे फोन आया कि निगम/वन विभाग के लोग इंद्रपुरी स्थित उनके घर के बगल में लगे पीपल के पेड़ को हटा रहे हैं।
एनडीएमसी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अभिनव एस अग्रवाल ने दलील दी कि उप वन संरक्षक के कार्यालय द्वारा एक आदेश पारित किया गया था, जिसमें पेड़ को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई थी। दिल्ली पुलिस और उप वन संरक्षक के कार्यालय की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गौतम नारायण ने अधिवक्ता अग्रवाल के साथ अदालत को बताया कि वे आदेश के विवरण के बारे में अदालत को सूचित करने की स्थिति में नहीं हैं।
न्यायालय ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता की इस दलील पर विचार किए बिना पेड़ को काटने की अनुमति दी जाती है तो इससे अपूरणीय क्षति होगी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कोई भी वैध और उचित आदेश काटने के कार्य का समर्थन नहीं करता है। इसलिए, पक्षों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि अगली सुनवाई तक उक्त पेड़ को कोई नुकसान न पहुंचे।
लेखक: पपीहा घोषाल