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न्याय की जीत: पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के लिए आजीवन कारावास

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एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, दिल्ली की एक अदालत ने 2008 में पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या में शामिल चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंदर कुमार पांडे ने यह फैसला सुनाया, जिससे लंबे समय से प्रतीक्षित मामले का अंत हो गया।

रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार और बलजीत मलिक नामक दोषी व्यक्तियों को 18 अक्टूबर को विश्वनाथन की हत्या का दोषी पाया गया। अदालत ने उनकी भूमिका को "उचित संदेह से परे" साबित पाया और उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादे से किया गया अपराध) के तहत दोषी ठहराया। इसके अलावा, सभी चार को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की धारा 3(1)(i) के तहत दोषी पाया गया।

इस मामले में शामिल एक अन्य व्यक्ति अजय सेठी को भारतीय दंड संहिता की धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) और मकोका की धारा 3(2) और 3(5) के तहत अपराध के लिए तीन साल की सजा मिली।

इंडिया टुडे की पत्रकार विश्वनाथन सितंबर 2008 में वसंत कुंज में अपनी कार में मृत पाई गईं। फोरेंसिक रिपोर्ट में उनके सिर पर घातक गोली लगने की पुष्टि हुई। पुलिस जांच में पता चला कि देर रात अपने कार्यालय से घर लौटते समय उनका पीछा किया गया और उन्हें गोली मार दी गई।

इस मामले में सफलता मार्च 2009 में मिली जब रवि कपूर और अमित शुक्ला को एक अन्य मामले में उनकी संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद विश्वनाथन की हत्या में उनका कबूलनामा सामने आया। जून 2010 में आरोपपत्र दाखिल किया गया और कई वर्षों की कानूनी कार्यवाही के बाद, अदालत का फैसला इस जघन्य अपराध के लिए न्याय का एक उपाय प्रदान करता है।

यह निर्णय लम्बे समय से लंबित मामलों में भी न्याय की आवश्यकता की याद दिलाता है तथा हिंसा के ऐसे कृत्यों के विरुद्ध एक कड़ा संदेश देता है।

लेखक: अनुष्का तरानिया

समाचार लेखक, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी

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