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कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से टैक्सी एग्रीगेटर्स से मिलकर उचित किराए पर चर्चा करने को कहा – ओला, उबर ऑटो पर प्रतिबंध

मामला: एएनआई टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड बनाम कर्नाटक राज्य
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह टैक्सी एग्रीगेटर्स के साथ बैठक कर इस बात पर संभावित सहमति पर चर्चा करे कि ऑटो रिक्शा सेवाओं के लिए किस तरह शुल्क लिया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति एमजीएस कमल ने एएनआई टेक्नोलॉजीज (ओला के मालिक) और उबर द्वारा आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया। उनके ऐप्स के माध्यम से ऑटो की सवारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
यात्रियों की कई शिकायतों के बाद परिवहन विभाग ने 6 अक्टूबर को ओला, उबर और रैपिडो जैसी कैब एग्रीगेटर्स को नोटिस जारी कर उन्हें अपने ऐप के माध्यम से ऑटो रिक्शा सेवाएं प्रदान करना बंद करने को कहा।
शिकायतों में आरोप लगाया गया कि ऐप्स ने पहले दो किलोमीटर के लिए भी 100 रुपये वसूले, जबकि सरकार द्वारा स्वीकृत किराया 30 रुपये है। इसे 'अवैध प्रथा' कहा गया।
उनके अनुसार, हालांकि उन्होंने ऑटो रिक्शा कैब को एकत्रित करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें डर था कि अधिकारी उन्हें अवैध रूप से प्रतिबंधित करने के लिए समयबद्ध तरीके से विचार नहीं करेंगे।
इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने नोटिस को रद्द करने और प्रतिवादियों को ऑटोरिक्शा के एकत्रीकरण में हस्तक्षेप न करने का निर्देश देने की मांग की।