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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट - नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार के बराबर
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (ग्वालियर बेंच) ने कहा कि नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार के समान है। यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत अपराधों के लिए आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया एक आरोपी अजय जाटव की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। वर्तमान जमानत याचिका उसकी पांचवीं याचिका थी।
आवेदक की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अवधेश शर्मा ने न्यायालय को बताया कि चौथी जमानत याचिका में न्यायालय ने अभियोक्ता की परीक्षा पर विचार किया, जिसमें उसने प्रस्तुत किया कि आरोपी आवेदक और अभियोक्ता के बीच शारीरिक संबंध तब बने जब वह वयस्क हो गई और दोनों पक्ष विवाहित थे। इसके बाद अभियोक्ता के पिता ने न्यायालय को बताया कि इस कृत्य के समय अभियोक्ता की आयु 17 वर्ष और छह महीने थी। पिता की परीक्षा के आधार पर न्यायालय ने आवेदक की जमानत याचिका को अस्वीकार कर दिया।
राज्य ने तर्क दिया कि रिपोर्टों के अनुसार, अभियोक्ता ने 16 सितंबर, 2020 को एक बच्चे को जन्म दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह दिसंबर 2019 में गर्भवती थी। अभियोक्ता का जन्म 1 फरवरी, 2002 को हुआ था, जिससे स्पष्ट होता है कि वह नाबालिग होने पर गर्भवती थी।
न्यायालय ने इंडिपेंडेंट थॉट बनाम भारत संघ एवं अन्य (2017) 10 एससीसी 800 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा जताया, जिसके तहत शीर्ष अदालत ने आवेदक को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बलात्कार की श्रेणी में आएगा।
लेखक: पपीहा घोषाल