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केवल स्त्रीधन की वसूली जमानत से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती - दिल्ली हाईकोर्ट

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि केवल स्त्रीधन की वसूली ही दहेज की मांग और भारतीय दंड संहिता की आपराधिक विश्वासघात जैसे अपराधों के लिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने या उसे अग्रिम जमानत देने से इनकार करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता।

न्यायालय एक व्यक्ति द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिस पर उसकी पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसने उसकी पत्नी का स्त्रीधन, पासपोर्ट और कपड़े जबरन छीन लिए हैं। शिकायत के अनुसार, पति, उसकी माँ और उसकी बहनों ने दहेज के लिए पत्नी का अपमान किया, उसे पीटा, परेशान किया और प्रताड़ित किया तथा शांतिपूर्ण जीवन के लिए 50 लाख रुपये की राशि का प्रबंध करने की धमकी दी।

प्रतिवादी ने आरोप लगाया कि उसके पति ने अवैध रूप से उसका सिम कार्ड खरीदा और उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया वेबसाइटों पर अपलोड कर दीं। उसने दुर्भावनापूर्ण इरादे से उसके अकाउंट से उसके दोस्तों को गाली-गलौज और अपमानजनक संदेश भी भेजे।

दूसरी ओर, 2018 में याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी और उसके परिवार के खिलाफ दिल्ली पुलिस में अधिकारी के रूप में अपने पिता के पद के कारण उसे गाली देने और धमकाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी बिना कोई वैध कारण बताए ससुराल छोड़कर अपने माता-पिता के साथ रहने लगी।

न्यायालय ने पाया कि इस तर्क का समर्थन करने के लिए कुछ भी नहीं है कि याचिकाकर्ता और उसका परिवार गवाहों को धमकाने की स्थिति में थे। न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली और याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत दे दी।


लेखक: पपीहा घोषाल