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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल स्टेशन का नाम बदलने के केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल स्टेशन का नाम 'हबीबगंज' से बदलकर 'रानी कमलापति' रेलवे स्टेशन करने के केंद्र सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ अहमद सईद कुरैशी द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर ₹10,000 का जुर्माना लगाते हुए कहा कि जनहित याचिका तुच्छ और परेशान करने वाली थी और इसने पीठ का कीमती समय बरबाद कर दिया।
याचिकाकर्ता अहमद सईद कुरैशी ने केंद्र सरकार के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें 'हबीबगंज' रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर 'रानी कमलापति' रेलवे स्टेशन कर दिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील विनय प्रताप सिंह ने दलील दी कि 1973 में गुरु हबीब मियां ने अपनी जमीन रेलवे विभाग को दान कर दी थी और इस तरह दानकर्ता के नाम पर 'हबीबगंज' रेलवे स्टेशन का नाम रखना सही है। केंद्र सरकार द्वारा रेलवे स्टेशन का नाम बदलना मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया गया था।
न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति सुनीता यादव की खंडपीठ ने पक्षों को सुनने के बाद निष्कर्ष निकाला कि जनहित याचिका सस्ती लोकप्रियता पाने का एक माध्यम है और इसने न्यायालय का समय बर्बाद किया है।
न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी और हमें कोविड-9 की तीसरी लहर के लिए जुर्माना राशि निर्धारित करने का निर्देश दिया।
लेखक: पपीहा घोषाल