समाचार
उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक याचिका खारिज कर दी जिसमें दावा किया गया था कि हरी मिर्च के साथ लाल चींटियों को मिलाकर खाने से कोविड-19 वायरस को रोका जा सकता है

11 अप्रैल 2021
ओडिशा हाईकोर्ट ने बाथुडी जनजाति आदिवासी समुदाय से जुड़े एक सहायक इंजीनियर की याचिका खारिज कर दी है। उन्होंने दलील दी थी कि लाल चींटियों से बनी 'काई कुकुटी चटनी' और हरी मिर्च मिलाकर खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कोविड 19 वायरस से बचाव होता है।
न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने सीएसआईआर और आईसीएमआर के समक्ष काई चटनी के बारे में अपनी दलीलें रखीं, जिन पर विचार नहीं किया गया। याचिकाकर्ता ने एक याचिका दायर की, जिसका निपटारा इस न्यायालय ने 24 दिसंबर 2020 के आदेश के तहत किया, जिसमें आईसीएमआर और सीएसआईआर को उनके अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया। इसके बाद आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और सीएसआईआर दोनों ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार किया। इसे फिर से संयुक्त रूप से खारिज कर दिया गया।
न्यायालय ने सीएसआईआर द्वारा की गई टिप्पणियों पर प्रकाश डाला, "यह नोट किया गया है कि याचिकाकर्ता द्वारा दावा किए गए लाल चींटी की चटनी के आंतरिक उपयोग पर औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की पहली अनुसूची में उल्लिखित आयुर्वेद की शास्त्रीय पुस्तकों में कोई संदर्भ नहीं मिल सका। इसलिए, कोविड-19 रोगी द्वारा लाभकारी उपयोग के लिए लाल चींटी की चटनी या सूप का उपयोग "औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और नियम, 1945 के नियामक प्रावधानों के अनुसार आयुर्वेद दवाओं के दायरे से बाहर है।"
न्यायालय ने माना कि आदिवासी समुदायों द्वारा औषधीय प्रयोजनों के लिए लाल चींटियों की चटनी का उपयोग उनकी पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों पर आधारित है, जिस पर न्यायालय टिप्पणी करने में सक्षम नहीं है। तदनुसार याचिका खारिज की जाती है।
लेखक: पपीहा घोषाल
पीसी: ओर्किन