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17 साल से बंधक बनाए गए हाथी की रिहाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका

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17 साल से अकेले कैद में बंद अफ्रीकी हाथी को दूसरे स्थान पर ले जाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय प्राणी उद्यान को नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट ने पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और पशु कल्याण बोर्ड से भी जवाब मांगा है।

याचिका में मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ को बताया गया कि जिम्बाब्वे सरकार ने 1998 में भारत को दो अफ्रीकी हाथी शंकर और बॉम्बे उपहार में दिए थे। 2005 में बॉम्बे की "असहज पर्यावरण" के कारण मृत्यु हो गई। तब से, शंकर को दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में 17 वर्षों तक अकेले रखा गया था। उसे भयानक परिस्थितियों में रखा गया था, उसके दोनों पैर 17 वर्षों तक जंजीरों से बंधे रहे। उसके पास कोई जगह नहीं थी और वह 100 मीटर के दायरे में कई रेलवे ट्रैक के बीच था। उसका किसी अन्य प्रजाति के साथ कोई दृश्य, घ्राण या वाचिक संचार नहीं था।

शंकर को केयरटेकर के हाथों क्रूरता का शिकार होना पड़ा। उसे एकांत कारावास में रखने से उसे तंत्रिका संबंधी और मानसिक क्षति हुई है।

इसलिए, शंकर को वन्यजीव अभ्यारण्य में छोड़ा जाना चाहिए, जहाँ कई अफ्रीकी हाथी रहते हैं। इसके अलावा, देश भर में बंदी बनाए गए सभी जानवरों को स्थानांतरित करने के लिए भी इसी तरह के कदम उठाए जाने चाहिए।


लेखक: पपीहा घोषाल