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एससी-नमूने की भौतिक प्रकृति यह निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण नहीं है कि यह अफीम है या नहीं
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि जांचे गए नमूने में अफीम थी या नहीं, यह तय करने के लिए सामग्री की भौतिक प्रकृति प्रासंगिक नहीं है। अफीम की जांच के लिए नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत भौतिक विश्लेषण का वर्णन नहीं किया गया है।
इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय की पुष्टि की कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत, किसी विशेष नमूने की सामग्री के आधार पर ही यह निर्णय लिया जा सकता है कि वह अफीम है।
इस मामले में अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 50 के अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। अपीलकर्ता की न तो तलाशी ली गई और न ही उसे राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट के समक्ष तलाशी लेने के उसके अधिकार के बारे में बताया गया।
राज्य की ओर से पेश वकील ने बताया कि तलाशी पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में ली गई, जो एक राजपत्रित अधिकारी हैं। तलाशी के दौरान पाया गया कि अपीलकर्ता के पास 4 किलो अफीम थी, जिसमें से 20 ग्राम नमूने के तौर पर लिया गया। रासायनिक परीक्षक ने संदेश भेजकर पुष्टि की कि पदार्थ अफीम था।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि नमूने की भौतिक प्रकृति उसकी सामग्री को निर्दिष्ट करने के लिए उपयुक्त नहीं है। पीठ ने अपीलकर्ता के जमानत बांड को रद्द कर दिया और उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।