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सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के कल्याण के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश पर रोक लगा दी
शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें आवारा कुत्तों के कल्याण के लिए निर्देश दिए गए थे, क्योंकि न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला था कि उन्हें भोजन का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आवारा कुत्तों को भोजन और पानी मिलना चाहिए और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को यह सुनिश्चित करना चाहिए।
जुलाई 2021 में कुछ लोगों द्वारा आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से रोकने के लिए दायर किए गए मुकदमे के बाद यह फैसला आया। इस विवाद को दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा लिया गया था। हालांकि, हाईकोर्ट से आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के संबंध में दिशा-निर्देश तय करने को कहा गया था।
न्यायमूर्ति जेआर मिधा ने कहा कि आवारा कुत्तों को भोजन पाने का अधिकार है। इसके अलावा, नागरिकों को आवारा कुत्तों को भोजन खिलाने का अधिकार है और कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कुत्तों को भोजन खिलाने से तब तक नहीं रोक सकता जब तक कि इससे उस व्यक्ति को परेशानी न हो।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ के समक्ष दलील दी गई कि दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने जानबूझकर न्यायालय से जानकारी छिपाई। नतीजतन, उच्च न्यायालय का फैसला कई भ्रामक, तथ्यात्मक रूप से गलत बयानों और गलत सूचनाओं पर आधारित था।