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सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में शशि थरूर को बरी कर दिया गया

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विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करने वाली दिल्ली की एक विशेष अदालत ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर को उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में बरी कर दिया। न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने थरूर को जमानत राशि जमा करने के निर्देश दिए और उन्हें बरी कर दिया।

अभियोजन पक्ष ने थरूर पर आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा 306, पति द्वारा क्रूरता की धारा 498ए तथा आईपीसी की धारा 302 के तहत आरोप लगाए।

विशेष सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने दलील दी कि पुष्कर को मौत से पहले चोटें लगी थीं, जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी दिखाई देती है। पुष्कर एक स्वस्थ व्यक्ति थी और उसकी मौत जहर के कारण हुई; उसके कमरे में एल्प्रैक्स की 27 गोलियां पाई गईं। हालांकि, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि उसने कितनी गोलियां खाईं।

थरूर के विवाहेतर संबंधों को लेकर कई विवादों के कारण पुष्कर को उनके पति द्वारा मानसिक क्रूरता का सामना करना पड़ा। श्रीवास्तव ने आगे कहा कि जहां तक धारा 302 के तहत वैकल्पिक आरोप का सवाल है, चिकित्सा विशेषज्ञों ने पुष्कर को किसी दवा का इंजेक्शन दिए जाने की किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया है।

थरूर की ओर से पेश हुए वकील विकास पाहवा ने अपनी बात को पुख्ता करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया कि विवाहेतर संबंध क्रूरता के लिए पर्याप्त आधार नहीं है। इसलिए, उनके मुवक्किल को भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने आगे तर्क दिया कि चार साल की जांच के बाद भी पुलिस को पुष्कर की मौत का कोई कारण नहीं मिला। इसके अलावा, मेडिकल बोर्ड की कई रिपोर्टों ने मौत को आत्महत्या या हत्या के रूप में खारिज कर दिया था।


लेखक: पपीहा घोषाल