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नारदा घोटाला मामले में टीएमसी नेताओं को अंतरिम जमानत पर न्यायाधीशों में मतभेद
23 मई 2021
नारद घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए चार टीएमसी नेताओं की जमानत से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान मतभेद देखने को मिला। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने बुधवार को मामले की लंबी सुनवाई के बाद विरोधाभासी राय दिखाई। न्यायमूर्ति बनर्जी ने जहां चार टीएमसी नेताओं की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली, वहीं एसीजे बिंदल ने असहमति जताते हुए कहा कि चारों टीएमसी नेताओं को नजरबंद रखा जाना चाहिए।
अलग-अलग राय के मद्देनजर मामले को 5 जजों की बेंच को सौंप दिया गया है। हालांकि, दोनों जज इस बात पर सहमत हुए कि मामले के सुलझने तक चारों आरोपी टीएमसी नेताओं को सभी मेडिकल सुविधाओं के साथ घर में ही नजरबंद रखा जाना चाहिए। चूंकि गिरफ्तार किए गए लोगों में से दो निर्वाचित राज्य सरकार के मंत्री हैं, इसलिए कोर्ट ने उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए फाइलें देखने और मीटिंग करने की अनुमति दे दी।
टीएमसी नेताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता डॉ. अभिषेक सिंह ने कहा कि सुनवाई के बीच में ही हाउस अरेस्ट का आदेश पारित किया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि गिरफ्तार लोगों को तब तक अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए जब तक कि बड़ी पीठ मामले की सुनवाई नहीं कर लेती। जिस पर न्यायमूर्ति बनर्जी ने जवाब दिया, " पीठ के सदस्यों में से एक अंतरिम जमानत देने के लिए सहमत नहीं था। इस बीच, महामारी की स्थिति को देखते हुए, हाउस अरेस्ट दिया गया है।"
लेखक - पपीहा घोषाल