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बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक पिता द्वारा बच्ची के दान के कृत्य पर कड़ा रुख अपनाया

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बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक पिता द्वारा अपनी बेटी को एक बाबा को "दान" करने के कृत्य पर कड़ा रुख अपनाया। न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी दो आवेदकों द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिन पर 17 वर्षीय किशोरी से बलात्कार का आरोप था।

दो आवेदकों, शंकेश्वर उर्फ शंभू ढकने और सोपान ढकने पर एक नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था, जो अपने पिता के साथ उस मंदिर परिसर में रहती थी, जहां एक बाबा अपने शिष्यों के साथ रहता था।

अदालत को बताया गया कि लड़की के पिता ने बाबा के साथ मिलकर दानपत्र तैयार किया था और इस दस्तावेज में उल्लेख किया गया था कि कन्यादान भगवान की मौजूदगी में किया गया था। आरोप लगाया गया कि बाबा और उसके चेलों ने नशीले पदार्थों का सेवन किया और गांव के युवाओं को ऐसी गतिविधियों में शामिल किया। आगे बताया गया कि गांव में ग्राम सभा हुई जिसमें फैसला लिया गया कि बाबा और उसके चेलों को पीड़िता के साथ परिसर से निकाल दिया जाए।

इस बीच, न्यायालय को यह भी बताया गया कि नाबालिग की मां की मृत्यु के बाद उसके पिता ने उसे बाबा को दान कर दिया था। कोई उचित दत्तक-पत्र नहीं बनाया गया था।

दोनों आवेदकों ने कहा कि लड़की ने 'बाबा' के प्रभाव में आकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया। अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि आरोप-पत्र दाखिल हो चुका है, इसलिए जांच पूरी हो चुकी होगी, इसलिए जमानत दे दी गई।


लेखक: पपीहा घोषाल