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शीर्ष अदालत ने 30 जून 2022 को सुबह 11 बजे होने वाले फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया - महाराष्ट्र राजनीतिक संकट

न्यायालय: न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जे.बी. पारदीवाला
शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र विधानसभा में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्देशानुसार 30 जून 2022 को सुबह 11 बजे होने वाले फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पीठ ने यह फैसला शिवसेना के सचेतक सुनील प्रभु की याचिका पर लिया, जिसमें राज्यपाल के निर्देश को मनमाना और प्रेरित बताया गया था।
पीठ ने कहा कि न्यायालय के समक्ष याचिका के परिणाम के आधार पर कल के परिणाम निर्धारित किये जायेंगे।
पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ जब कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे अन्य विधायकों के साथ महाराष्ट्र से सूरत और फिर गुवाहाटी चले गए, जहां वे पिछले सात दिनों से डेरा डाले हुए हैं। शिंदे और विद्रोही समूह ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ शिवसेना के गठबंधन पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
उन्होंने दावा किया है कि वे बालासाहेब ठाकरे द्वारा बताए गए मुद्दे के पक्ष में हैं और उन्होंने अपना नाम 'शिवसेना (बालासाहेब)' रखा है। इसके बाद विधानसभा के उपाध्यक्ष ने 12 बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दिया। हालांकि, उन्होंने अयोग्यता नोटिस के साथ-साथ अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त किए जाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
27 जून को सर्वोच्च न्यायालय ने शिंदे और बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस पर जवाब दाखिल करने के लिए 12 जुलाई तक का समय देकर अंतरिम राहत प्रदान की थी। यह समय सीमा 27 जून को शाम 5.30 बजे समाप्त होनी थी। इसके बाद राज्यपाल ने कल फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया, जिससे शिवसेना को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
प्रभु ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि विधायकों की अयोग्यता सीधे तौर पर फ्लोर टेस्ट के मुद्दे से संबंधित है, लेकिन राज्यपाल ने तर्क को नजरअंदाज कर दिया और तुरंत फ्लोर टेस्ट का आदेश दे दिया।