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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जेल की स्थिति का ब्यौरा देने वाले हलफनामे की सामग्री को बिल्कुल अस्पष्ट बताया

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6 मार्च 2021

3 मार्च 2021 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने जेल महानिदेशक को जेलों की भौतिक स्थिति, कैदियों को सुधारने के लिए उनकी सुधारात्मक तकनीकों, विभाग की कार्यशील क्षमता और कुछ अन्य पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।

आदेश के बाद, महानिरीक्षक ने हाल ही में एक हलफनामा दायर किया जिसमें जांच पर प्रकाश डाला गया। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि इसमें दी गई जानकारी पूरी तरह से अस्पष्ट है।

न्यायालय ने कहा कि हलफनामे में विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश नहीं डाला गया है।

  • हलफनामे में विभिन्न जेलों में उपलब्ध कराई गई सुविधाओं की सही प्रकृति और विषय-वस्तु का उल्लेख नहीं किया गया।
  • हलफनामे में खुलासा किया गया है कि सीसीटीवी पहले चरण में लगाए जा रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पहला चरण कब और क्या होगा और दूसरा चरण कब शुरू होगा?
  • न्यायालय ने आगे कहा कि हलफनामे में एक योजना का खुलासा किया गया है जिसके तहत कैदियों को सिलाई, बढ़ईगीरी और बागवानी जैसी सुधारात्मक तकनीकें सिखाई जाती हैं, लेकिन यह विवरण शामिल नहीं किया गया है कि क्या यह योजना राज्य भर की सभी जेलों में लागू की जा रही है।
  • अंत में हलफनामे में कहा गया कि राज्य भर में कैदियों की भीड़भाड़ की गंभीर समस्या है। सरकार ने केवल तीन नई जेलों के निर्माण को मंजूरी दी है। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि जेलों को कब मंजूरी दी गई और जेलों की वर्तमान स्थिति क्या है।

दिशा

न्यायालय ने विद्वान जेल महानिरीक्षक को अधिक विस्तृत एवं स्पष्ट हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

लेखक: पपीहा घोषाल

पी.सी.: इंडियाटाइम्स