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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक दम्पति को अग्रिम जमानत दे दी है, जिन पर अपने वयस्क बेटे की शादी नाबालिग लड़की से कराने का आरोप है।
मामला: गंगुलप्पा नरसप्पा और अन्य। बनाम कर्नाटक राज्य
न्यायालय: न्यायमूर्ति एचपी संदेश, कर्नाटक उच्च न्यायालय (एचसी)
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक दंपत्ति को अग्रिम जमानत दे दी है, जिन पर अपने वयस्क बेटे की शादी नाबालिग लड़की से कराने का आरोप है। हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि नाबालिग लड़की पर यौन कृत्यों का कोई आरोप नहीं है, इसलिए अग्रिम जमानत देना उचित है।
न्यायालय एक दम्पति द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसके विरुद्ध एक वयस्क बेटे की शादी मात्र 11 वर्ष की नाबालिग लड़की से कराने का मामला दर्ज किया गया था। उन पर भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार, यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे। नाबालिग पर हमले के आरोप में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम और बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
नाबालिग लड़की के बेटे और माता-पिता को भी अपराध में पक्ष बनाया गया और जिस स्कूल में लड़की पढ़ती थी, उसके प्रधानाध्यापक की शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि दंपति के खिलाफ एकमात्र अपराध बाल विवाह निषेध अधिनियम ("अधिनियम") के तहत लगाया गया था, जिसके लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा नहीं है। इसके अलावा, नाबालिग लड़की द्वारा दिए गए बयान से पता चलता है कि, यह स्पष्ट है कि पति ने कोई यौन कृत्य नहीं किया है, इसलिए याचिकाकर्ताओं को जमानत दी जानी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि चूंकि नाबालिग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोई यौन कृत्य नहीं हुआ था, इसलिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ केवल अधिनियम की धारा 10 (बाल विवाह करना, कराना, उकसाना) लागू की जाएगी।
न्यायालय ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ताओं को 2-2 लाख रुपये के निजी मुचलके और जमानत राशि जमा करने पर जमानत पर रिहा किया जाए।