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राष्ट्रपति चुनाव विवादों की सुनवाई करने का विशेष अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास है

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मामला: सतवीर सिंह बनाम भारत संघ एवं अन्य

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जेल में बंद विधायकों को मतदान से अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 71(1) और राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 में प्रावधान है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए एकमात्र उपाय परिणाम घोषित होने के बाद चुनाव याचिका है और ऐसे मामलों में शीर्ष न्यायालय के पास विशेष अधिकार क्षेत्र है। राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित सभी संदेहों की जांच या निर्णय केवल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ही किया जा सकता है।

एकल पीठ के न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने यह भी कहा कि याचिका 'अत्यधिक संदिग्ध' है, क्योंकि यह राष्ट्रपति चुनाव की पूर्व संध्या पर दायर की गई है।

70 वर्षीय बढ़ई सतवीर सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की कि केंद्र सरकार के साथ-साथ भारत के चुनाव आयोग को उन विधायकों (सांसदों और विधायकों) को निर्वाचन मंडल से हटा देना चाहिए, जिन्हें जेल में रखा गया है, तथा उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति नरूला ने कहा कि वह राष्ट्रपति चुनाव को चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता के अधिकार को समझने में असमर्थ हैं। न्यायमूर्ति नरूला ने कहा कि वह ऐसे किसी प्रावधान को निर्धारित करने में असमर्थ हैं जो जेल में बंद विधायकों को उक्त चुनावों में मतदान करने से अयोग्य ठहराता हो, क्योंकि याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।