MENU

Talk to a lawyer

समाचार

महिला का यह विकल्प है कि वह काम करे या घर पर रहे, भले ही वह शिक्षित हो - बॉम्बे हाईकोर्ट

यह लेख इन भाषाओं में भी उपलब्ध है: English | मराठी

Feature Image for the blog - महिला का यह विकल्प है कि वह काम करे या घर पर रहे, भले ही वह शिक्षित हो - बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस भारती डांगरे ने एक महिला के लिए काम करने या घर पर रहने के विकल्प के महत्व पर जोर दिया, भले ही वह ऐसा करने के लिए योग्य और शिक्षित हो। हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक महिला स्नातक है, इसका मतलब यह नहीं है कि वह घर पर नहीं रह सकती।

हाईकोर्ट पति द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पुणे में पारिवारिक न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने उसे अपनी पत्नी को भरण-पोषण देने का निर्देश दिया था, जो उसके अनुसार एक स्थिर आय अर्जित कर रही थी। पति के वकील अभिजीत सरवटे ने तर्क दिया कि पारिवारिक न्यायालय ने पति को उसकी नौकरी के बावजूद पत्नी को भरण-पोषण देने का अनुचित आदेश दिया।

पति-पत्नी की शादी 2010 में हुई थी। 2013 से पत्नी अपनी बेटी के साथ अलग रह रही है। अप्रैल 2013 में पत्नी ने घरेलू हिंसा (डीवी) अधिनियम के तहत कार्यवाही शुरू की।

एक साल बाद पत्नी ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए याचिका दायर की। साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (क्रूरता) के तहत अन्य कार्यवाही शुरू की गई।

पत्नी ने आगे भरण-पोषण की कार्यवाही शुरू की। न्यायाधीश ने उसके आवेदन को स्वीकार कर लिया और पति को पत्नी को हर महीने ₹5,000 और बच्चे के भरण-पोषण के लिए अलग से ₹7,000 देने का आदेश दिया। आदेश से व्यथित होकर पति ने हाईकोर्ट का रुख किया। याचिका में कहा गया कि पति के पास अपनी पत्नी द्वारा दायर की जा रही लगातार कार्यवाही से लड़ने के लिए कोई संसाधन नहीं बचा है। पति ने आगे तर्क दिया कि पत्नी ने झूठा दावा किया था कि उसकी कोई आय नहीं है, जबकि वास्तव में वह एक वेतनभोगी कर्मचारी थी।

हालांकि, हाईकोर्ट इससे सहमत नहीं हुआ और उसने शिक्षित महिलाओं की पसंद पर टिप्पणी की। कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।

My Cart

Services

Sub total

₹ 0