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जिन नौकरी विज्ञापनों का पर्याप्त रूप से प्रसार नहीं किया जाता, वे उम्मीदवारों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं

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मामला: रवि प्रताप मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

न्यायालय: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर


इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि नौकरी का विज्ञापन पर्याप्त रूप से प्रसारित नहीं किया जाता है, तो यह अभ्यर्थियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा, क्योंकि इससे उन्हें उचित अवसर नहीं मिल पाएगा।

यह आदेश एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखते हुए पारित किया गया, जिसमें अपीलकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया गया था।

अपीलकर्ता श्री रवि मिश्रा को एक स्कूल में क्लर्क के पद पर नियुक्त किया गया था। हालांकि, जिला विद्यालय निरीक्षक ने इस आधार पर उनकी नियुक्ति को मंजूरी देने से इनकार कर दिया कि विज्ञापन उस क्षेत्र में कम प्रसार वाले अखबार में प्रकाशित हुआ था। मिश्रा ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

एकल न्यायाधीश वाली उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि विज्ञापन 'हिंदुस्तान का स्वरूप' में दिया गया था, जिसका उस क्षेत्र में शायद ही कोई प्रचलन था।

अपीलकर्ता ने दावा किया कि स्कूल प्रबंधन समिति ने स्थानीय समाचार पत्र में रिक्त पद के लिए विज्ञापन दिया था और उसकी विधिवत नियुक्ति भी कर दी गई थी।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने अपील को अयोग्य पाया तथा एकल न्यायाधीश के तर्क से सहमति व्यक्त की।

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