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14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता ने 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

2 मार्च
गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971 की धारा 3 (2) (बी) के तहत, बीस सप्ताह से अधिक के गर्भ को माननीय न्यायालय की अनुमति के बिना समाप्त करने की अनुमति नहीं है।
हरियाणा की एक 14 वर्षीय लड़की ने न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपने 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगी। अपनी याचिका में उसने कहा कि उसके चचेरे भाई ने उसके साथ बलात्कार किया, जिसके कारण वह अनचाही प्रेग्नेंट हो गई।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने निर्देश दिया कि सरकार हरियाणा में तुरंत एक मेडिकल बोर्ड का गठन करे ताकि यह पता लगाया जा सके कि 14 साल की बलात्कार पीड़िता के लिए 26 सप्ताह के भ्रूण को गिराना सुरक्षित होगा या नहीं। बेंच, जिसमें जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल थे, ने अस्पताल को इस तरह के गर्भपात की व्यावहारिकता की जांच करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने और शुक्रवार तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। और आगे हरियाणा सरकार को एक नोटिस जारी कर इस मामले पर उनका जवाब मांगा।
उत्तरजीवी की ओर से उपस्थित वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि वह मेडिकल बोर्ड को प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दे।
लेखक: पपीहा घोषाल