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दिल्ली की एक अदालत ने तलाक देने के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति को मजबूत बचाव के आधार पर जमानत दे दी।
दिल्ली की एक अदालत ने तलाक़ बोलने और अपनी पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार करने के आरोप में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 4 के तहत आरोपी व्यक्ति को ज़मानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार ने ज़मानत देते हुए कहा कि वर्तमान में, आरोपी के पास मज़बूत बचाव है और इसलिए वह ज़मानत का हकदार है। जाँच पूरी होने के बाद ही मामला स्पष्ट हो पाएगा।
पृष्ठभूमि
शिकायतकर्ता के अनुसार, आरोपी ने तलाक बोलकर उसके साथ बलात्कार किया। उसने अपनी पत्नी के साथ बलात्कार करने के लिए अपने दोस्त नसीम को भी शामिल किया।
आरोपी के अनुसार, उसने कभी तलाक नहीं कहा, और इसलिए, उसने अधिनियम की धारा 4 के तहत कोई अपराध नहीं किया। उन्होंने आगे कहा कि शिकायतकर्ता ने एक नई कहानी पेश की, जबकि उसके पास कोई मजबूत मामला नहीं था। उसने नसीम को इसलिए पेश किया ताकि आरोपी और नसीम दोनों पर सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज हो सके। इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने खुद कबूल किया कि उसने एक पारिवारिक समारोह में आरोपी को झूठा फंसाया था।
टिप्पणियों
कोर्ट ने कहा कि आरोपी जुलाई 2021 से जेल में है और आज तक गैंगरेप के आरोप स्पष्ट नहीं हैं। आज तक जांच अधिकारी नसीम की पहचान नहीं कर पाए हैं। इसके अलावा, कथित घटना के समय नसीम और आरोपी की सेल लोकेशन अलग-अलग जगहों पर पाई गई। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने तथ्यों को साबित करने के लिए आंतरिक चिकित्सा जांच कराने से इनकार कर दिया और इसलिए मामला पूरी तरह से मौखिक गवाही पर आधारित था।
लेखक: पपीहा घोषाल