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लड़की कोई पशु नहीं बल्कि एक स्वतंत्र जीवित आत्मा है जिसके पास अधिकार हैं - हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय

लड़की कोई पशु नहीं बल्कि एक स्वतंत्र जीवित आत्मा है जिसके पास अधिकार हैं - हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय
23 फरवरी 2021
न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ संजीव कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि सुश्री कोमल परमार को उनकी इच्छा के विरुद्ध उनके परिवार के सदस्यों और मित्रों द्वारा अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है, ताकि याचिकाकर्ता की सुश्री कोमल के साथ शादी को रोका जा सके, क्योंकि याचिकाकर्ता निम्न जाति से है, जबकि सुश्री कोमल परमार उच्च जाति (ठाकुर) से हैं।
याचिकाकर्ता ने वर्तमान रिट याचिका के माध्यम से सुश्री कोमल परमार को पेश करने की प्रार्थना की तथा याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों को उचित सुरक्षा प्रदान करने का भी अनुरोध किया, क्योंकि उनके जीवन और संपत्ति को खतरा है।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि "यह याद रखना चाहिए कि एक लड़की कोई मवेशी या निर्जीव वस्तु नहीं है, बल्कि एक जीवित स्वतंत्र आत्मा है, जिसके पास दूसरों की तरह अधिकार हैं, और विवेक की उम्र प्राप्त करने पर, वह अपनी इच्छानुसार अपने विवेक का प्रयोग कर सकती है"। जाति के आधार पर भेदभाव, जीवनसाथी चुनने के अधिकार से वंचित करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। न्यायालय ने हिमाचल पुलिस को याचिकाकर्ता और सुश्री कोमल परमार को सुरक्षा प्रदान करने और परमार को अपना जीवनसाथी चुनने की अनुमति देने का निर्देश दिया।
लेखक-पपीहा घोषाल