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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और दीपक वर्मा की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें भैंस के मांस विक्रेता का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था, क्योंकि उसका व्यवसाय एक समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचा रहा था। पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता इकारा के पास खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत खुदरा विक्रेता के रूप में लाइसेंस था। लाइसेंस जनवरी 2022 तक वैध था। हालांकि, पीलीभीत के खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने फरवरी 2021 में इस आधार पर उसका लाइसेंस रद्द कर दिया कि उसका व्यवसाय एक विशेष समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचा रहा है।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बिना ही आदेश पारित कर दिया। सरकार की ओर से पेश हुए स्थायी वकील ने इस तथ्य से इनकार नहीं किया कि याचिकाकर्ता को न तो सुनवाई का अवसर दिया गया और न ही कोई नोटिस दिया गया।

इसे देखते हुए, पीठ ने प्रतिवादी को याचिकाकर्ता को उचित नोटिस और सुनवाई का अवसर देने के बाद एक नया आदेश पारित करने का अधिकार देते हुए आदेश को रद्द कर दिया।


लेखक: पपीहा घोषाल

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