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आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अग्रिम जमानत स्वतः समाप्त नहीं होती - सुप्रीम कोर्ट

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8 मार्च

सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया है कि एक बार जब अदालत धारा 438 के तहत जमानत दे देती है, तो आरोपपत्र दाखिल होने पर यह स्वतः ही समाप्त नहीं हो जाती।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अग्रिम जमानत समाप्त हो जाती है और आरोपी को आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए आवेदन करने का आदेश दिया। आरोपी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की। सुशीला अग्रवाल बनाम एनसीएलटी ऑफ दिल्ली के मामले का उल्लेख करते हुए आरोपी ने तर्क दिया कि कोई भी कानून यह नहीं कहता है कि आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अग्रिम जमानत समाप्त हो जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने सुशीला अग्रवाल के फैसले पर गौर किया कि यदि किसी आरोपी को अग्रिम जमानत दी जाती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे आत्मसमर्पण करना होगा और धारा 439 के तहत आवेदन दायर करना होगा।

न्यायालय ने आगे कहा कि अग्रिम जमानत मुकदमे के अंत तक जारी रह सकती है। इसलिए, न्यायालय इस तत्काल अपील की अनुमति देता है, लेकिन आरोपी को अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए ट्रायल कोर्ट जाना होगा। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में, अग्रिम जमानत की अवधि सीमित की जा सकती है।

लेखक: पपीहा घोषाल

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