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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गोहत्या के संदेह में गिरफ्तार एक व्यक्ति को जमानत दी

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सूरज बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले के मुख्य आरोपी सूरज को जमानत दे दी है, जिसे पुलिसकर्मियों द्वारा सुनी गई कथित बातचीत के आधार पर गिरफ्तार किया गया था।

सूरज और तीन अन्य लोगों को पुलिस ने उत्तर प्रदेश गोहत्या निवारण अधिनियम, 1955 के तहत गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा कि प्राथमिकी केवल पक्षों के बीच बातचीत के आधार पर दर्ज की गई थी और इसे साबित करने के लिए सबूतों का अभाव था।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आरोपी दो बैलों को मारने और उससे बहुत सारा पैसा कमाने की योजना बना रहा था। यह भी आरोप लगाया गया कि उनके कब्जे से रस्सी का एक बंडल, एक हथौड़ा, दो घड़ासा (बड़ा और छोटा), एक कील और 5 किलो के बारह खाली पैकेट भी बरामद किए गए। हालांकि, एफआईआर के अवलोकन से यह स्पष्ट था कि आरोपियों के कब्जे से मिले बैलों में से किसी का भी वध नहीं किया गया था, न ही वे अपंग थे या उन्हें कोई शारीरिक चोट लगी थी।

न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन की एकल पीठ ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि यह आवेदन तुच्छ आधार पर किया गया है, क्योंकि दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है। न्यायालय ने सीतापुर के पुलिस अधीक्षक को आवेदक के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को स्पष्ट करते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा।

लेखक: पपीहा घोषाल