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बॉम्बे उच्च न्यायालय ने यूओआई के विनिवेश के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी

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14 नवंबर

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) के विनिवेश के सरकार के कदम को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है और विनिवेश को मंजूरी देने के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) के फैसले का बचाव किया है।

न्यायमूर्ति एससी गुप्ते और न्यायमूर्ति माधव जामदार की बॉम्बे उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने भारत की दूसरी सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल और ईंधन कंपनी के विनिवेश के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करने वाली चार जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीठ ने पाया कि पीठ को याचिकाओं में कोई 'योग्यता' नहीं मिली।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि "किसी भी विधायी अधिनियम को अवांछनीयता या विवेक के अभाव के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती। विधानमंडल द्वारा अधिनियमित किए जाने को चुनौती देने के लिए उपलब्ध एकमात्र विकल्प अधिनियम की शक्तियों के आधार पर है, यानी विधानमंडल की ओर से विधायी क्षमता की कमी और मौलिक अधिकार का उल्लंघन।"

लेखक श्रेय - श्वेता सिंह