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बेटी को पिता की दूसरी शादी पर सवाल उठाने का अधिकार है

23 मार्च 2021
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस वीजी बिष्ट और जस्टिस आरडी धानुका की खंडपीठ ने धारा 7 (बी) की व्याख्या की। खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि बेटियाँ अपने माता-पिता की दूसरी शादी की वैधता को चुनौती देने के लिए याचिका दायर कर सकती हैं।
पृष्ठभूमि और तर्क
पीठ एक पारिवारिक न्यायालय द्वारा एक महिला की अपने पिता की दूसरी पत्नी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने विवाह की वैधता पर सवाल उठाया था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्रतिवादी (पिता की दूसरी पत्नी) ने अपने पिता से उनकी संपत्ति और सम्पत्ति हड़पने के लिए विवाह किया और उसके पिता का 2015 में निधन हो गया। प्रतिवादी के वकील ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता के पास सुने जाने का अधिकार नहीं है और पारिवारिक न्यायालय केवल विवाह के पक्षों को वैधता पर सवाल उठाने की अनुमति देता है।
अवलोकन
पीठ ने पाया कि धारा 7 (बी) के अनुसार, अपीलकर्ता के पास याचिका दायर करने का अधिकार है। इसलिए अपील सफल होती है और तदनुसार उसे स्वीकार किया जाता है। विद्वान पारिवारिक न्यायालय को निर्देश दिया जाता है कि वह पारिवारिक न्यायालय की याचिका पर शीघ्रता से और अधिमानतः इस आदेश की प्राप्ति की तिथि से छह महीने के भीतर इसकी योग्यता के आधार पर निर्णय ले।
लेखक: पपीहा घोषाल
पीसी: मकान.कॉम