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दिल्ली हाईकोर्ट ने एडवोकेट प्रशांत भूषण की याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें वकीलों को उस संगठन के लिए पेश होने से रोकने वाले नियम को चुनौती दी गई है जिसका वे हिस्सा हैं

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16 मार्च 2021

दिल्ली हाईकोर्ट ने एडवोकेट प्रशांत भूषण की याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस याचिका में बीसीआई के प्रोफेशनल कंडक्ट एंड एटिकेट के मानक नियम 8 को चुनौती दी गई है। एडवोकेट प्रशांत ने उस नियम को चुनौती दी है जो वकीलों को ऐसे संगठनों की ओर से जनहित मामलों में पेश होने से रोकता है, जहां वे पदाधिकारी या कार्यकारी समिति के सदस्य होते हैं।

उपरोक्त नियम को चुनौती देने के अलावा, उन्होंने मेजर एसके पुनिया (सेवानिवृत्त) द्वारा उनके खिलाफ बीसीआई में नियम 8 का कथित उल्लंघन करने के आरोप में दायर शिकायत को भी रद्द करने की मांग की। शिकायत के अनुसार, एडवोकेट भूषण इन संगठनों की कार्यकारी समिति के सदस्य होने के बावजूद सेंटर फॉर पीआईएल, कॉमन कॉज और स्वराज अभियान जैसे संगठनों की ओर से पेश हुए।

भूषण ने तर्क दिया कि नियम की व्याख्या मनमानी और असंवैधानिक होगी। ऐसे नियम का कोई तर्कसंगत औचित्य नहीं है जो किसी संगठन को अपने किसी कार्यकारी सदस्य द्वारा अपना मामला प्रस्तुत करने से रोकता है। यह नियम भेदभावपूर्ण भी है क्योंकि यह वकीलों को एमिकस क्यूरी के रूप में पेश होने से छूट देता है।

लेखक: पपीहा घोषाल

पीसी: गोवा क्रॉनिकल