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एनसीआरबी डेटा में ट्रांसजेंडरों को अलग लिंग के रूप में मान्यता देने पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

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एनसीआरबी डेटा में ट्रांसजेंडरों को अलग लिंग के रूप में मान्यता देने पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

30 नवंबर 2020

दिल्ली उच्च न्यायालय राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को यह निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा कि वह अपने वार्षिक प्रकाशन भारत के कारागार सांख्यिकी में ट्रांसजेंडर को एक अलग तीसरे लिंग के रूप में मान्यता और वर्गीकरण प्रदान करे।

याचिका में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए ऐतिहासिक निर्णय का हवाला दिया गया है, जिसमें एआईआर 2014 एससी 1863 ने स्पष्ट रूप से ट्रांसजेंडर को कानूनी मान्यता प्रदान की थी, साथ ही लिंग के आत्मनिर्णय के उनके अधिकार की घोषणा की थी, जिसमें यह भी कहा गया था कि किसी की लिंग पहचान की मान्यता गरिमा के मौलिक अधिकार के केंद्र में है, और स्वयं की पहचान किया गया लिंग पुरुष, महिला या तीसरा लिंग हो सकता है।

याचिकाकर्ता का दावा था कि सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के 6 साल बाद भी, प्रतिवादी जेल सांख्यिकी भारत रिपोर्ट के अपने वार्षिक प्रकाशन में ट्रांसजेंडर को एक अलग तीसरे लिंग के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रहे हैं।