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राज्य सरकार द्वारा बेघर लोगों को आश्रय प्रदान करने में विफलता अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है

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24 मार्च 2021

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें शहरी बेघर आश्रयों के संबंध में राज्य सरकार के 29 मई 2014 के आदेश के कार्यान्वयन की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, सामुदायिक केंद्रों में कम से कम 100 व्यक्तियों के रहने की व्यवस्था होनी चाहिए। वहीं, कर्नाटक में केवल 40-47 कार्यात्मक सामुदायिक केंद्र हैं, जिनमें से प्रत्येक में 50-60 व्यक्तियों के रहने की क्षमता है। इसके अलावा, योजना के अनुसार बच्चों, ट्रांस और विकलांग लोगों के लिए विशेष आश्रय/केंद्र नहीं हैं।

खंडपीठ ने कहा कि बेघर लोगों को आश्रय प्रदान करने में राज्य सरकार की विफलता संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, और यह उनके सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है। खंडपीठ ने राज्य सरकार को राज्य में किए गए शहरी बेघरों के सर्वेक्षण का रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया, और एक बार जब यह पूरा हो जाता है, तो सरकार आवश्यक आश्रयों की संख्या पर उचित निर्णय ले सकती है।

मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी।

लेखक: पपीहा घोषाल

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