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अपराध की गंभीरता समय से पहले रिहाई का एकमात्र कारक नहीं हो सकती- एस.सी.
3 अक्टूबर, 2020
माननीय सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने एक और उल्लेखनीय मिसाल कायम की है कि अपराध की गंभीरता और सज़ा की अवधि किसी अपराधी की समय से पहले रिहाई का एकमात्र कारक नहीं होगी। माननीय न्यायमूर्ति एनवी रमना, सूर्यकांत और हृषिकेश रॉय की पीठ ने माना कि समाज को आम शांतिप्रिय नागरिकों के जीवन में खुलेआम घूमने वाले अपराधियों के कहर के बिना शांतिपूर्ण और निडर जीवन जीने का अधिकार है। लेकिन सुधारात्मक सिद्धांत की नींव आपराधिक कानून के अन्य सिद्धांतों की तरह ही मजबूत है। सभ्य समाज की महत्वाकांक्षा को केवल दंडात्मक दृष्टिकोण और प्रतिशोध के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
माननीय पीठ ने आगे कहा कि न्याय को शांतिपूर्ण सद्भाव और स्वीकार्यता तथा भाईचारे के कारक पर विचार करना चाहिए। पहली बार अपराध करने वालों को जीवन की नई शुरुआत करने के लिए दूसरा मौका दिया जाना चाहिए। यह मिसाल सजा के सुधारात्मक सिद्धांत के उद्देश्य की पूर्ति के लिए है।
लेखक: एडवोकेट भास्कर आदित्य