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भारत में विवाह केवल जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच ही हो सकता है - एसजी तुषार मेहता
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दलील दी कि भारत में विवाह केवल जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच ही हो सकता है। दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ हिंदू विवाह अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम और विदेशी विवाह अधिनियम जैसे विभिन्न कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ को बताया कि याचिकाओं के समूह में सवाल यह है कि क्या समलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह की अनुमति है। उन्होंने आगे कहा कि नवतेज सिंह जौहर केस केवल समलैंगिक संबंधों को अपराध से मुक्त करता है, लेकिन यह समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं देता है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने असहमति जताई और तर्क दिया कि नवतेज सिंह जौहर मामले में दिए गए फैसले की अलग तरह से व्याख्या की गई है।
एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील करुणा नंदी ने कहा कि उनका मामला विदेशी विवाह अधिनियम से संबंधित एक अलग सवाल पर है। उन्होंने कहा कि जब कोई जोड़ा ऐसे देश में शादी करता है जहाँ समलैंगिक विवाह की अनुमति है, तो समलैंगिक जोड़ों को भारत में भी अपनी शादी को पंजीकृत करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
पीठ को बताया गया कि प्रतिवादियों ने अभी तक अपनी दलीलें दाखिल नहीं की हैं, इसलिए पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
लेखक: पपीहा घोषाल