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पूजा स्थल की आड़ में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को हतोत्साहित किया जाना चाहिए

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पूजा स्थल की आड़ में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को हतोत्साहित किया जाना चाहिए

22 दिसंबर

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल पीठ ने एक मंदिर प्राधिकरण द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा सार्वजनिक भूमि पर बनी 4 मंदिर संपत्तियों से उसे जबरन बेदखल करने पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक भूमि पर "पूजा स्थल की आड़ में अतिक्रमण करने की प्रवृत्ति देखी जा सकती है।

भारत संघ बनाम गुजरात राज्य एवं अन्य (2011) 14 एससीसी 62 के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस खतरे का संज्ञान लिया है तथा राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्थिति की जांच करने और शीघ्रता से आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। उन्होंने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि "भ्रष्ट दलों द्वारा इस तरह के प्रयासों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए, क्योंकि निवासी, पूजा स्थल की आड़ में, सैकड़ों लोगों द्वारा भूमि को पूरी तरह से अनियोजित घुसपैठ में बदल देते हैं। अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि पूजा स्थल इस तरह न बनाए जाएं।"