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जमानत देने से पहले अपराध की गंभीरता पर विचार करना महत्वपूर्ण है - सुप्रीम कोर्ट

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16 मार्च 2021

आरोपी ने कथित तौर पर कोर्ट के रिकॉर्ड में जालसाजी की थी; धारा 307, 504 और 506 आईपीसी के तहत राज्य बनाम महेश के मुकदमे में व्हाइटनर का उपयोग करके रिकॉर्ड बनाए गए थे। आरोपी ने नाम में छेड़छाड़ की; 'महेश' की जगह 'रमेश' लिख दिया था।

सत्र न्यायालय ने गंभीर आरोपों के कारण जमानत अर्जी खारिज कर दी और कहा कि यह मामला जमानत पर रिहा करने लायक नहीं है। हालांकि, हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी मंजूर कर ली।

सुप्रीम कोर्ट में अपील में, बेंच ने पाया कि आरोपी पर धारा 420, 467, 471, 120बी और 468डी के तहत अपराधों के लिए मुकदमा चल रहा है। माननीय न्यायालय ने कहा कि जमानत देते समय हाईकोर्ट को सावधान रहना चाहिए। इस मामले में, अपराधों की प्रकृति गंभीर थी, और जमानत देने से पहले अपराधों की गंभीरता पर विचार करना महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि अपीलकर्ता का मामले से कोई लेना-देना नहीं है।

लेखक: पपीहा घोषाल