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शांतिपूर्ण, अहिंसक जुलूस निकालना एक मौलिक अधिकार है
12 नवंबर
डोमिनिक प्रेजेंटेशन बनाम केरल राज्य के मामले में केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) और 19(1)(बी) के तहत शांतिपूर्ण और अहिंसक जुलूस का नेतृत्व करना भारत के नागरिक का मौलिक अधिकार है। केरल उच्च न्यायालय ने 2017 में मानवाधिकार संरक्षण जुलूस का नेतृत्व करने के लिए एर्नाकुलम के पूर्व विधायक डोमिनिक प्रेजेंटेशन के खिलाफ आपराधिक शिकायत को दबा दिया है।
2017 में, डोमिनिक और चार अन्य लोगों ने एर्नाकुलम जिले में लगभग 200 लोगों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और आम जनता और वाहनों को बाधित करने और भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 147, 283 और 149 के तहत गैरकानूनी सभा में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे।
पेश किए गए सभी सबूतों को देखने के बाद, उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि "कुछ विरोध शुरू में शांतिपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन बाद में यह हिंसक हो सकते हैं। इसलिए, संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) और (1)(बी) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण सभा की आड़ में सभी विरोध प्रदर्शनों को सॉब्लैंकेट सुरक्षा नहीं दी जा सकती है।
लेखक: श्वेता सिंह