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पति या उसके परिवार को नाबालिग लड़की की हिरासत का दावा करने का कोई अंतर्निहित अधिकार नहीं है

12 मार्च 2021
पंजाब उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने कहा कि अगर कोई नाबालिग लड़की अपनी सहमति से शादी करती है और अपने माता-पिता के साथ रहने से इनकार करती है तो उसे बाल संरक्षण गृह भेजा जा सकता है। न्यायालय ने आगे कहा कि पति या उसके परिवार को रिट याचिका दायर करके नाबालिग लड़की की कस्टडी का दावा करने का कोई अंतर्निहित अधिकार नहीं है।
नेहा के माता-पिता ने हरप्रीत नाम के लड़के से शादी करने के बाद एफआईआर दर्ज कराई। 16.5 साल की नाबालिग लड़की होने के कारण उसने शादी के लिए सहमति दे दी। एफआईआर के बाद नेहा को नारी निकेतन भेज दिया गया क्योंकि वह अपने माता-पिता के साथ रहने को तैयार नहीं थी। हरप्रीत की भाभी ने नेहा को अवैध हिरासत से रिहा करने की मांग करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
न्यायालय ने कहा कि " याचिकाकर्ता के वकील द्वारा यह दलील कि विवाह नाबालिग लड़की की सहमति से किया गया था, महत्वहीन हो जाएगी क्योंकि बाल विवाह अपने आप में एक अपराध है, हालांकि यह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अवैध नहीं हो सकता है"। उसे तब तक रिहा नहीं किया जाएगा जब तक वह वयस्क नहीं हो जाती और उसे उसके पति या याचिकाकर्ता, जो उसकी भाभी बताई गई है, को हिरासत में नहीं दिया जाएगा। यदि नेहा अपने पिता/माता-पिता के पास जाने की इच्छा व्यक्त करती है, तो बाल कल्याण समिति उसे ऐसा करने की अनुमति देगी।
लेखक: पपीहा घोषाल