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3 साल तक की सजा वाले गैर-आईपीसी अपराध संज्ञेय और गैर-संज्ञेय और गैर-जमानती हैं - बॉम्बे उच्च न्यायालय

9 मार्च
बॉम्बे हाई कोर्ट ने माना कि आईपीसी के अलावा किसी अन्य कानून के तहत अपराध, जो 3 साल तक की सजा के योग्य हैं, संज्ञेय और गैर-जमानती हैं। न्यायालय ने कॉपीराइट अधिनियम के तहत आरोपित एक व्यक्ति की गिरफ्तारी-पूर्व जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। आरोपी पर शिकायतकर्ता कंपनी के ट्रेडमार्क नाम के तहत घटिया पाइप बनाने और बेचने का आरोप लगाया गया था।
आवेदक/आरोपी की ओर से पेश वकील ने कहा कि निचली अदालत ने सह-आरोपी को पहले ही जमानत दे दी है क्योंकि आईपीसी की धारा 418, कॉपीराइट अधिनियम की धारा 63 और ट्रेडमार्क अधिनियम की धारा 103 जमानती हैं। जिस पर माननीय न्यायालय ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने इस बात पर विचार नहीं किया कि उल्लिखित अधिनियमों की कुछ धाराएँ जमानती हैं या नहीं। इसलिए, पीठ एक एमिकस क्यूरी नियुक्त करने के लिए आगे बढ़ती है।
एमिकस क्यूरी ने बताया कि विभिन्न अदालतें इस मामले को पहले ही सुलझा चुकी हैं। यह पहले ही माना जा चुका है कि 3 साल तक की सज़ा गैर-जमानती अपराध है। पीठ ने उन मामलों पर भरोसा किया और आवेदन को खारिज कर दिया।
लेखक: पपीहा घोषाल