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राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क पर प्रसव कराने को मजबूर महिला को 4 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक मार्मिक फैसले में भारत संघ और राजस्थान सरकार को निर्देश दिया है कि वह 2016 में सड़क पर दो बच्चों को जन्म देने वाली महिला को 4 लाख रुपए का मुआवजा दे, जिनमें से दोनों की बाद में मौत हो गई। न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढांड की अध्यक्षता वाली अदालत ने खेड़ली में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में स्वास्थ्य कर्मचारियों के "लापरवाह और लापरवाह व्यवहार" की निंदा की और इस घटना को "मानवता की मौत" बताया।
फूलमती नाम की महिला को 7 अप्रैल, 2016 को ममता कार्ड न होने के कारण इलाज देने से मना कर दिया गया था, जो गर्भवती महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। अदालत ने गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के कल्याण के लिए राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना (एनएमबीएस) और जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं की विफलता पर ध्यान दिया।
न्यायमूर्ति ढांड ने स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन में भारत संघ की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा, "स्वास्थ्य का अधिकार केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया एक राष्ट्रीय अभियान है, और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने की जिम्मेदारी पूरी तरह से भारत संघ के कंधों पर है।"
अदालत ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब भारत संघ 'स्वास्थ्य' विषय को सार्वजनिक स्वास्थ्य का मुद्दा मान रहा है और इसे राज्य सरकारों की चिंता बना रहा है। यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है और ऐसा लगता है कि यह जिम्मेदारी दूसरे पर डालने का मामला है।"
चिकित्सा पेशेवरों के कर्तव्य को रेखांकित करते हुए, न्यायालय ने इस मामले में घोर लापरवाही पाई और भारत सरकार और राज्य सरकार से संयुक्त रूप से ₹4 लाख का मुआवज़ा देने का आदेश दिया। यह राशि तीन साल के लिए सावधि जमा में जमा की जाएगी और अर्जित ब्याज तिमाही आधार पर फूलमती के खाते में स्थानांतरित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, अदालत ने याचिकाकर्ता को तत्काल 25,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया तथा स्वास्थ्य योजनाओं के कार्यान्वयन में कमियों को दूर करने के लिए एक संयुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन का निर्देश दिया।
यह फैसला स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन और समय पर तथा मानवीय चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए अधिकारियों को जवाबदेह बनाने की अदालत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
लेखक: अनुष्का तरानिया
समाचार लेखक, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी